आनंद लहरी वाक्य
उच्चारण: [ aanend lheri ]
उदाहरण वाक्य
- भगवान् शंकराचार्य ने आनंद लहरी स्तोत्र में लिखा है-
- -आदि शंकराचार्य, आनंद लहरी इस यंत्र में उर्ध्वमुखी त्रिकोण, अग्नितत्व का, वृत्त वायु का, बिंदु आकाश का और भूपुर पृथ्वी तत्व का प्रतीक हैं।
- आनंद लहरी में श्री शंकराचार्य इस संबंध में कहते हैं ‘‘ चतुर्भीः श्रीकण्ठेः शिव युवतीभिः पंचभिरपि मूल प्रकृतिभिः त्रयश्च त्वारिशद्वसुदल कलाब्जत्रिबलय त्रिरेखाभिः सार्घः तव भवन कोणः परिणताः।
- यही कारण है कि शंकराचार्य ने आनंद लहरी और सौंदर्य लहरी जैसे काव्य की रचना में माँ त्रिपुर सुंदरी के मुख-मंडल, अधर, नयन, वक्ष, नाभि, हस्त, पाद आदि अंगों का सौंदर्य-वर्णन अति सुंदर और जीवित रूप में किया है जो पूर्ण रूपेण लालित्यमय है।